धान की खेती में अपनाएं ये फार्मूला , कम लागत में होगी ज्यादा पैदावार
अपने क्षेत्र के अनुसार करें चुने किस्म
धान की किस्म को क्षेत्र के हिसाब से विकसित किया गया है। किसानों को चाहिए कि वे अपने क्षेत्र और प्रदेश के अनुसार किस्म का चयन करें तभी अच्छी पैदावार मिलेगी।
बीजों का शोधन करने से नहीं लगता है रोग
फफूंदनाशी से बीजोपचार प्रति किलो बीज को 3 ग्राम बैविस्टिन फफूंदनाशक से उपचारित करें। फफूंदनाशक का उपयोग पाउडर के रूप में धुले हुए बीज में मिलाकर कर सकते हैं या फिर 3 ग्राम प्रति किलो बीज को पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
श्री विधि के द्वारा करेंं धान की रोपाई
एसआरआई विधि (श्रीविधि) से रोपाई करते समय एक जगह पर एक से दो पौधों की ही रोपाई करनी चाहिए। पौधे से पौधे और कतार से कतार के बीच की दूरी 25 सेमी. रखनी चाहिए।
ज्यादा कल्ले पाने के लिए करें ये काम
धान की रोपाई के 20-30 दिन बाद कल्ले फूटने लगते हैं। इस दौरान प्रति एकड़ 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक की मात्रा जरूर दें। जिंक की मात्रा आप धान की रोपाई के समय भी दे सकते हैं। इससे कल्ले अधिक मिलेंगे। इस दौरान धान की खेत में ज्यादा पानी न रखें।
रोपाई के बाद खेत में पाटा चलाएं, कीटों से मिलेगी छूट
धान की रोपाई के 15-20 दिनों बाद खेत में पाटा चल जाना चाहिए । ऐसा करने से धान के पौधों पर लगने वाले सुंडी जैसे कीड़े भी पानी में गिरते ही मर जाते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि एक बार पाटा लगाने के बाद दूसरी बार उल्टी दिशा में पाटा लगाएं। जब भी पाटा लगाएं खेत में पर्याप्त मात्रा में पानी होना चाहिए।